ज्वालादेवी
की लौ जिसे हमारे देश वाले चमत्कार मानते हैं ये सिर्फ हमारे देश में ही नहीं है और
देशों में भी है। लेकिन दूसरे देशों में इसको चमत्कार का नाम नहीं दिया जाता, क्योंकि लोग सच जानते है। उदाहरण के लिए न्यूयॉर्क के चेस्टनेट रिज
काउंटी पार्क में ‘एटरनल फ्लेम फाल्स’
नामक झरना है। यहां भी पानी के बीच ज्वाला जलती है, पर लोग
इसको पूजते नहीं, क्योंकि वे जानते हैं कि धरती में मौजूद
प्राकृतिक गैस का रिसाव हो रहा है। अगर हम वहां पर कोई माचिस या लाइटर जलाएंगे, तो वह ज्वाला पकड़ लेगी और जलती रहेगी जब तक हम उसको बुझा नहीं देते।
जब
की खाड़ी देशों में तो यह बहुत ही ज्यादा आम बात है। वहां पर तो यह गैस बहुत ही
ज्यादा मात्रा में पाई जाती है, कतर तो सिर्फ
इसी गैस की वजह से दुनिया का सबसे अमीर देश बन गया है, यह
प्राकृतिक गैस मेथेन, प्रोपेन, एथेन,
ब्यूटेन, का मिश्रण होता है, बाद में इसी गैस को परिवर्तित करके LPG और CNG
बनाई जाती है।
प्राकृतिक
गैस भी पेट्रोल और कोयले की तरह ही बनी होती है। इनको हम जीवाश्म इंधन भी बोल सकते
हैं,
और यह जीवाश्म ईंधन लाखों करोड़ों साल पहले जमीन और समुद्र के नीचे
दबे जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों की वजह से बनते हैं। वो धीरे धीरे हाइड्रोकार्बन में
टूटते हैं और जीवाश्म ईंधन या फॉसिल फ्यूल बन जाते है, जहां
भारी तापमान और दबाव की वजह से इनका रूप परिवर्तित होता है।
आज
पूरे विश्व में 86% ऊर्जा के मुख्य स्त्रोत यही जीवाश्म ईंधन है। भारत की जमीन के
नीचे भी काफी मात्रा में जीवाश्म ईंधन मौजूद हैं, लेकिन इनको निकालना बहुत ही मुश्किल और खर्चे का काम है, क्योंकि यहां की जमीन बहुत ज्यादा सख्त है।
ज्वाला
देवी की लौ भी धरती से रिसने वाली मीथेन या कोई अन्य ज्वलनशील गैस के कारण है। आप
रसोई घर की LPG गैस पर आश्चर्य नहीं करते
क्योंकि सच जानते हैं कि सिलिंडर में गैस है वही जलती है। वैसा ही ज्वाला देवी है,
बस धरती के अंदर भारी गैस आपको दिखती नहीं। अगर आप अपने रसोई घर की LPG
गैस किसी ऐसे इलाके में ले जाओ, जहां लोग LPG
गैस के बारे में कुछ न जानते हो और आप उन्हें चमत्कार बता कर गैस
उनको जला कर दिखा दो, तो वो भी LPG गैस
को चमत्कार मान उसकी पूजा करने लगेगा जैसे लोग ज्वाला देवी की करते है।
ONGC
(आयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन) ने साफ कहा है, जहां ज्वाला जल रही वहाँ नीचे जमीन में गैस का भंडार है, और वहां से बहुत कम मात्रा में गैस का रिसाव ऊपर तक हो रहा है। लेकिन खुल
कर इसकी बात नहीं होती क्योंकि वो धार्मिक स्थल है और बहुत से लोग धार्मिक दर्शन
के लिए आते है, भरम टूट जाएगा। इसलिये ज्वालादेवी की लौ
क्यों जल रही कोई बताता नही। अन्धविस्वास बनाये रखना भी जरूरी है वरना लोगो का आना
बंद हो जाएगा और कमाई भी।
– चेतन
ठाकुर